जानिए ऑर्गेनिक खेती क्या है, उसके फायदे, विधियाँ, स्थापना प्रक्रिया और सरकारी सहायता के बारे में पूरी जानकारी।
परिचय: यह गाइड क्यों ज़रूरी है?
ऑर्गेनिक खेती सिर्फ़ एक तरीका नहीं बल्कि एक आंदोलन है—स्वस्थ भोजन, टिकाऊ पर्यावरण और किसान सशक्तिकरण की ओर एक कदम। जैसे-जैसे उपभोक्ता जागरूक हो रहे हैं और सरकारें इको-फ्रेंडली कृषि को बढ़ावा दे रही हैं, ऑर्गेनिक खेती भारत की कृषि का भविष्य बन रही है।
यह गाइड किसानों, छात्रों, उद्यमियों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक पूरा रोडमैप है जो ऑर्गेनिक खेती की बुनियादी समझ से लेकर उसके व्यावहारिक क्रियान्वयन तक की जानकारी देता है।
ऑर्गेनिक खेती क्या है?
ऑर्गेनिक खेती एक ऐसा कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक, GMO बीजों का प्रयोग नहीं किया जाता और प्राकृतिक जैविक चक्रों पर आधारित विधियों को अपनाया जाता है।
प्रमुख विशेषताएँ:
कोई सिंथेटिक रसायन नहीं
जैविक खाद, कम्पोस्ट और हरी खाद का उपयोग
कीट नियंत्रण के लिए नीम और जैविक विधियाँ
पशु कल्याण व प्राकृतिक चराई
FAO के अनुसार:
"ऑर्गेनिक खेती एक समग्र प्रणाली है जो पारिस्थितिकी, जैविक चक्रों और मृदा जीवन को बढ़ावा देती है।"
ऑर्गेनिक खेती का इतिहास
20वीं सदी की शुरुआत में वैश्विक आंदोलन (Sir Albert Howard, Rodale आदि)
भारत में पारंपरिक खेती पहले से ही जैविक थी
हरित क्रांति (1960s) के बाद रसायनों का आगमन
2016 में सिक्किम बना पहला पूर्ण जैविक राज्य
ऑर्गेनिक खेती क्यों अपनाएं?
स्वास्थ्य लाभ:
रसायन मुक्त खाद्य पदार्थ
पोषक तत्वों की अधिकता
एलर्जी और रोगों की संभावना कम
पर्यावरणीय लाभ:
मृदा गुणवत्ता में सुधार
जल संरक्षण और जैव विविधता
कार्बन फुटप्रिंट में कमी
किसान लाभ:
कम लागत वाली खेती
बेहतर बाज़ार मूल्य
हेल्दी वर्किंग कंडीशंस
ऑर्गेनिक खेती के सिद्धांत
IFOAM के अनुसार:
स्वास्थ्य: मृदा, पौधों, जानवरों और मानव स्वास्थ्य को बनाए रखना
पारिस्थितिकी: प्राकृतिक तंत्रों के साथ सामंजस्य
न्याय: समानता और पारदर्शिता
सावधानी: सतत विकास के लिए ज़िम्मेदारी
ऑर्गेनिक बनाम पारंपरिक खेती तुलना
मानदंडऑर्गेनिक खेतीपारंपरिक खेती
उर्वरककम्पोस्ट, गोबर, जैविक खादयूरिया, DAP, रासायनिक खाद
कीटनाशकनीम तेल, ट्राइकोडर्मा, जैविक विधियाँसिंथेटिक कीटनाशक
मृदा गुणवत्ताधीरे-धीरे बढ़तीसमय के साथ घटती
प्रारंभिक पैदावारथोड़ा कम, धीरे-धीरे बढ़तीज़्यादा
बाज़ार मूल्यप्रीमियमसामान्य
लागतलंबी अवधि में कमलगातार अधिक
प्रमाणनअनिवार्य (PGS/NPOP)नहीं आवश्यक
ऑर्गेनिक खेती की तकनीकें
मृदा उर्वरता प्रबंधन:
कम्पोस्टिंग – जैविक अपशिष्ट का सड़ाना
वर्मी कम्पोस्ट – केंचुओं द्वारा
हरी खाद (Green Manure) – ढैंचा, सन आदि
फसल चक्र (Crop Rotation) – मिट्टी में विविधता बनाए रखना
खरपतवार और कीट नियंत्रण:
नीम आधारित छिड़काव
ट्राइकोडर्मा, स्यूडोमोनास जैसे जैविक कवकनाशी
मल्चिंग, पक्षी बैठने की छड़ियाँ, पीली चिपकने वाली ट्रैप्स
जल प्रबंधन:
ड्रिप सिंचाई
वर्षा जल संचयन
मल्चिंग द्वारा नमी बनाए रखना
पशुपालन का समावेश:
देशी गायों से पंचगव्य
गोबर खाद व गोमूत्र से जीवामृत
प्राकृतिक चराई प्रणाली
ऑर्गेनिक खेती कैसे शुरू करें (स्टेप-बाय-स्टेप)
भूमि का चयन: प्रदूषण से दूर की ज़मीन चुनें
मृदा परीक्षण: pH, जैविक कार्बन आदि की जांच करें
प्राकृतिक इनपुट इकाई बनाएँ: कम्पोस्ट यूनिट, गोबर टैंक, जीवामृत इकाई
बीज चयन: देशी व स्थानीय बीज चुनें
फसल चक्र बनाएं: अंतरवर्तीय फसलें लगाएं
प्रमाणीकरण प्रक्रिया शुरू करें: PGS या NPOP से रजिस्ट्रेशन करें
भारत में ऑर्गेनिक खेती प्रमाणन प्रणाली
1. PGS (Participatory Guarantee System):
छोटे किसानों के लिए
कम लागत, सामूहिक निगरानी
2. NPOP (National Programme for Organic Production):
निर्यात केंद्रित
तीसरे पक्ष द्वारा प्रमाणन
प्रमाणन संस्थाएं:
APEDA (NPOP)
NCOF (PGS)
सरकारी योजनाएं और सहायता
परमपरागत कृषि विकास योजना (PKVY):
₹50,000 प्रति हेक्टेयर, 3 वर्षों में
क्लस्टर आधारित
MOVCDNER:
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए
वैल्यू चेन डेवलपमेंट, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग
NCOF:
जैविक प्रशिक्षण, इनपुट सप्लाई, लैब सहायता
किसान क्रेडिट कार्ड, ई-नाम पोर्टल
सामान्य भ्रांतियाँ और सच्चाई
मिथकसच्चाई
ऑर्गेनिक खेती से कम पैदावार होती हैशुरुआती वर्षों में, लेकिन बाद में अच्छी उपज होती है
यह लाभदायक नहीं हैप्रीमियम दाम और कम लागत से अच्छा मुनाफा
प्रबंधन कठिन हैप्रशिक्षण से सरल बनती है
इसमें कीटनाशक नहीं होतेप्राकृतिक कीट नियंत्रण होता है
भारत में ऑर्गेनिक उत्पादों का बाज़ार
भारत पाँचवाँ सबसे बड़ा ऑर्गेनिक कृषि क्षेत्र वाला देश
20% वार्षिक वृद्धि दर
प्रमुख निर्यात: चाय, मसाले, दालें
प्रमुख उपभोक्ता: मेट्रो शहर व विदेशी बाज़ार
प्रेरणादायक उदाहरण
सुभाष पालेकर (ZBNF) – महाराष्ट्र
सुरेश देसाई – ऑर्गेनिक गन्ना खेती, कोल्हापुर
सिक्किम राज्य – पूर्णतः जैविक, पर्यटन में वृद्धि
! चुनौतियाँ और समाधान
समस्याएँ:
प्रारंभिक कम पैदावार
प्रमाणन प्रक्रिया की जटिलता
जैविक कीट नियंत्रण में दिक्कत
बाज़ार पहुंच की कमी
समाधान:
सरकारी योजनाओं का लाभ
किसान उत्पादक संगठन (FPO)
सामूहिक विपणन और सहकारी मंडियाँ
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ाव
निष्कर्ष: भविष्य की खेती का रास्ता
ऑर्गेनिक खेती सिर्फ़ भोजन नहीं, बल्कि जीवन की एक शैली है। यदि सही ट्रेनिंग, समुदायिक समर्थन और सरकारी सहायता मिले, तो भारत ऑर्गेनिक क्रांति का वैश्विक नेतृत्व कर सकता है।
आज ही शुरुआत करें — प्रकृति के साथ खेती करें, स्वास्थ्य और मुनाफे की ओर बढ़ें।
? FAQs
Q1. ऑर्गेनिक खेती में परिवर्तन में कितना समय लगता है?
👉 3 वर्ष का कन्वर्ज़न पीरियड होता है
Q2. क्या ऑर्गेनिक खेती लाभदायक है?
👉 हाँ, कम लागत और प्रीमियम मूल्य से लाभ होता है
Q3. क्या गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर सकते हैं?
👉 बिल्कुल! ये जीवामृत और कम्पोस्ट के मुख्य घटक हैं
Q4. प्रमाणन कहाँ से लें?
👉 APEDA या NCOF पोर्टल से PGS/NPOP प्रमाणन प्राप्त करें
Q5. कौन सी फसलें शुरुआत के लिए अच्छी हैं?
👉 सब्जियाँ, दालें, मसाले जैसे हल्दी, अदरक