मानसून में गाय और बकरी जैसे दुधारू पशुओं में कई बीमारियाँ फैलती हैं जैसे फुट एंड माउथ डिज़ीज, गलघोटू, कृमि संक्रमण आदि। इस ब्लॉग में जानिए इनके लक्षण, बचाव, इलाज और पशुपालन के जरूरी सुझाव, ताकि आप नुकसान से बच सकें।
प्रस्तावना
भारत में मानसून का मौसम खेती के लिए तो वरदान है, लेकिन पशुपालकों के लिए यह मौसम संक्रमण और बीमारियों का खतरा भी साथ लाता है। लगातार बारिश, नमी, कीचड़ और गंदा वातावरण — यह सब मिलकर गाय, बकरी, भैंस जैसे पशुओं में बीमारी फैलने का कारण बनता है।
अगर समय पर टीकाकरण, साफ-सफाई और खानपान का ध्यान न रखा जाए तो यह बीमारियाँ दूध उत्पादन में कमी, मृत्यु और आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती हैं।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे:
मानसून में कौन-कौन सी बीमारियाँ होती हैं?
इनके क्या लक्षण होते हैं?
बचाव और उपचार कैसे करें?
पशुपालन में कौन-कौन सी सावधानियाँ जरूरी हैं?
1. फुट एंड माउथ डिज़ीज़ (FMD – खुरपका मुंहपका)
लक्षण:
खुर और मुंह में छाले व घाव
लार गिरना और चारा न खाना
तेज बुखार और दूध में कमी
बचाव:
FMD वैक्सीन हर 6 महीने में लगवाएं
संक्रमित पशु को अलग रखें
बाड़े की नियमित सफाई करें
इलाज:
पशु चिकित्सक से संपर्क करें
घाव पर एंटीसेप्टिक दवा लगाएं
तरल भोजन और आराम दें
2. गलघोटू (Haemorrhagic Septicaemia – HS)
लक्षण:
तेज बुखार, सांस लेने में दिक्कत
गले में सूजन, मुंह से झाग निकलना
अचानक मौत की आशंका
बचाव:
मानसून से पहले HS वैक्सीन दें (साल में 1 बार)
बारिश में पशु को ठंड और गीलेपन से बचाएं
इलाज:
तुरंत पशु डॉक्टर से संपर्क करें
संक्रमण रोकने के लिए एंटीबायोटिक इलाज ज़रूरी है
3. एंथ्रेक्स (Anthrax)
लक्षण:
शरीर में सूजन, खासकर गर्दन और पेट में
पशु की अचानक मौत
खून बहना जो जमता नहीं है
बचाव:
साल में एक बार वैक्सीनेशन करवाना ज़रूरी है
मरे हुए पशु को मिट्टी में गहराई से दफनाएं
इलाज:
डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें
खुद इलाज की कोशिश न करें, क्योंकि यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है
4. कृमि संक्रमण (Internal Parasites)
लक्षण:
वजन कम होना, बाल झड़ना
दस्त लगना और भूख कम होना
दूध उत्पादन में गिरावट
बचाव:
Deworming साल में 2 बार (मार्च और सितंबर)
साफ-सफाई का ध्यान रखें, खासकर चारा-पानी का
इलाज:
डॉक्टर की सलाह से कृमिनाशक दवा दें (Albendazole या Fenbendazole)
5. ब्लैक क्वार्टर (BQ – काला फोड़ा)
लक्षण:
पीछे की टांगों में सूजन और दर्द
तेज बुखार और लंगड़ाहट
त्वचा के नीचे हवा भरने जैसी आवाज़
बचाव:
मानसून से पहले BQ वैक्सीन लगवाएं (6-12 महीने की उम्र से शुरू)
गीले और कीचड़ भरे क्षेत्र से बचाव करें
इलाज:
डॉक्टर की निगरानी में एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट दें
6. डायरिया और अपच (Diarrhoea & Indigestion)
लक्षण:
पतला मल, बदबूदार दस्त
पेट फूला हुआ, भूख न लगना
पानी की कमी और कमजोरी
बचाव:
गंदा चारा और पानी न दें
हरा चारा सीमित मात्रा में दें
मिनरल मिक्सचर और प्रोबायोटिक डालें
इलाज:
ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) दें
डॉक्टर से Electrolyte और Digestive Tonic लें
7. गल सड़न और खुर की बीमारी (Hoof Rot)
लक्षण:
पैरों में सूजन और घाव
चलने में लंगड़ापन
गंध आना और खुर की त्वचा उतरना
बचाव:
बाड़े में कीचड़ न होने दें
पैर धोने के लिए 5% कॉपर सल्फेट सोल्यूशन का प्रयोग करें
इलाज:
जख्म पर टरपेंटाइन ऑयल या एंटीसेप्टिक लगाएं
गंभीर मामलों में डॉक्टर को बुलाएं
मानसून में पशुपालन की 10 ज़रूरी सावधानियाँ
समय पर टीकाकरण और deworming कराएं
बाड़े को सूखा, हवादार और साफ रखें
कीचड़ और गंदगी न बनने दें
पशु को गीले या ठंडे स्थान से बचाएं
हरे चारे को 8 घंटे धूप में सुखाकर ही दें
बारिश में सड़े-गले भोजन से बचें
मिनरल मिक्सचर और दवा नियमित दें
गंदा पानी पीने से रोकें, साफ पानी दें
बीमार पशु को अलग रखें
हर 15 दिन में डॉक्टर से पशु की जांच कराएं
निष्कर्ष
मानसून में गाय और बकरी की देखभाल में लापरवाही करना भारी नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप समय पर टीकाकरण, सफाई, पोषण और इलाज का ध्यान रखें। अगर आप इन 7 बीमारियों के लक्षण पहचानना और उनका इलाज करना सीख गए, तो मानसून में भी आपका पशुपालन व्यवसाय सुरक्षित और लाभदायक रहेगा।