प्राकृतिक खेती के 6 प्रमुख जैविक Inputs: पंचगव्य, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क और समुद्री घास अर्क | Organic Farming

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 जानें प्राकृतिक खेती के 6 प्रमुख जैविक इनपुट्स – पंचगव्य, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क और समुद्री घास अर्क। उनकी विधि, उपयोग, फायदे और खेत में वास्तविक अनुभव। किसान और ऑर्गेनिक फार्मिंग गाइड।


परिचय

भारत की परंपरागत खेती में प्राकृतिक और जैविक इनपुट्स का सदियों से महत्व रहा है। आधुनिक रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वरता और पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हुई है।

आज Natural Farming या Organic Farming में किसान पंचगव्य, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क और समुद्री घास अर्क जैसे प्राकृतिक Inputs का उपयोग कर रहे हैं।

ये Inputs ना सिर्फ मिट्टी को स्वस्थ बनाते हैं बल्कि फसल की पैदावार और गुणवत्ता भी बढ़ाते हैं।

                                                                            

Organic Farming Inputs for Healthy Crops

1. पंचगव्य (Panchagavya)

पंचगव्य क्या है?

पंचगव्य गाय से प्राप्त पाँच उत्पादों का मिश्रण है – गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी। यह पारंपरिक भारतीय खेती और आयुर्वेदिक प्रणाली का अमूल्य हिस्सा है।

सामग्री

  • गोबर – 5 किलो

  • गौमूत्र – 3 लीटर

  • दूध – 2 लीटर

  • दही – 2 लीटर

  • घी – 1 किलो

  • गुड़ – 500 ग्राम

  • केले – 10 नग

  • नारियल पानी – 1 लीटर

  • पानी – 10 लीटर

बनाने की विधि (Step by Step)

  1. बड़े ड्रम में गोबर और घी मिलाएँ।

  2. गौमूत्र और पानी डालें, 3 दिन तक ढककर रखें।

  3. रोज़ाना हिलाएँ ताकि मिश्रण अच्छी तरह मिल जाए।

  4. चौथे दिन दूध, दही, गुड़, नारियल पानी और केले डालें।

  5. 18वें दिन छानकर पंचगव्य तैयार है।

उपयोग

  • पौधों पर छिड़काव (Foliar Spray)

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में

  • पशुपालन में रोग निवारक

  • आयुर्वेदिक दवा और पूजा में

फायदे

  • प्राकृतिक और पर्यावरण मित्र

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है

  • पौधों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

Expert Tip

  • पंचगव्य को सुबह-सुबह छिड़काव करें, धूप से बचाकर।

  • ठंडे मौसम में किण्वन प्रक्रिया धीमी होती है, इसलिए 1-2 दिन और रखें।

Farmer Case Study

किसान रामू यादव, महाराष्ट्र:
“हमने गेहूँ के खेत में पंचगव्य का छिड़काव किया। नतीजा – पौधों की वृद्धि तेज हुई और रासायनिक खाद का उपयोग 50% कम हो गया।”


2. जीवामृत (Jeevamrut)

जीवामृत क्या है?

जीवामृत सूक्ष्मजीवों से भरा जैविक घोल है, जो मिट्टी और पौधों के लिए पोषण देता है।

सामग्री

  • गोबर – 10 किलो

  • गौमूत्र – 5–10 लीटर

  • बेसन/दाल पाउडर – 2 किलो

  • गुड़ – 2 किलो

  • मिट्टी – 1 मुट्ठी

  • पानी – 200 लीटर

बनाने की विधि

  1. पानी में सभी सामग्री डालकर अच्छे से मिलाएँ।

  2. 48 घंटे तक छाया में रखें और रोज हिलाएँ।

  3. तैयार घोल खेत में छिड़काव या सिंचाई में उपयोग करें।

उपयोग

  • खेत में सिंचाई

  • फसल पर छिड़काव

  • बीज उपचार

फायदे

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है

  • पौधों की वृद्धि में सुधार

  • प्राकृतिक और सुरक्षित

Pro Tip

  • फसल की मिट्टी में जीवामृत मिलाने से 7–10 दिन बाद माइक्रोबियल गतिविधि बढ़ती है।

  • खेत के बीच-बीच में हल्का छिड़काव पौधों को मजबूत बनाता है।


3. घनजीवामृत (Ghanjeevamrut)

घनजीवामृत क्या है?

घनजीवामृत जीवामृत का ठोस रूप है, जिसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

सामग्री

  • गोबर – 50 किलो

  • गौमूत्र – 5 लीटर

  • बेसन/दाल पाउडर – 2 किलो

  • गुड़ – 2 किलो

  • मिट्टी – 1 मुट्ठी

बनाने की विधि

  1. सभी सामग्री मिलाकर गोलियां बनाएं।

  2. 3–4 दिन छाया में सूखने दें।

  3. तैयार घनजीवामृत खेत में मिट्टी में मिलाएँ।

उपयोग

  • खेत की जुताई में

  • नर्सरी में पौधों के लिए

  • बागवानी और गड्ढों में

फायदे

  • लंबे समय तक सुरक्षित

  • आसान परिवहन

  • मिट्टी की जैविक गतिविधि बढ़ाता है


4. बीजामृत (Beejamrut)

बीजामृत क्या है?

बीजामृत बीजों का प्राकृतिक उपचार है, जो अंकुरण शक्ति बढ़ाता है।

सामग्री

  • गोबर – 5 किलो

  • गौमूत्र – 5 लीटर

  • चूना – 50 ग्राम

  • पानी – 20 लीटर

बनाने की विधि

  1. पानी में गोबर, गौमूत्र और चूना मिलाएँ।

  2. 12 घंटे तक छाया में रखें।

  3. बीज को 30–60 मिनट भिगोकर खेत में बोएँ।

फायदे

  • बीज का अंकुरण बेहतर होता है

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

  • 100% प्राकृतिक और सुरक्षित

Tip

  • बीजामृत में बीज को छाया में सुखाएं, धूप में नहीं।


5. दशपर्णी अर्क (Dashaparni Ark)

दशपर्णी अर्क क्या है?

दशपर्णी अर्क 10 पत्तियों का जैविक कीटनाशक है।

सामग्री

  • नीम, करंज, पपीता, अरंडी, अरहर, धतूरा, आक, गन्ना, बेल, अमरूद – 2 किलो प्रत्येक

  • गौमूत्र – 10 लीटर

  • गोबर – 5 किलो

  • पानी – 180 लीटर

बनाने की विधि

  1. सभी पत्तियाँ काटकर ड्रम में डालें।

  2. पानी, गोबर और गौमूत्र मिलाएँ।

  3. 10–15 दिन तक रोजाना हिलाएँ।

  4. छानकर छिड़काव में उपयोग करें।

उपयोग

  • फसलों पर कीट नियंत्रण

  • नर्सरी और छोटे पौधों पर हल्का छिड़काव

  • बीज और पौधों की सुरक्षा

फायदे

  • कीटों से सुरक्षा

  • पर्यावरण और मिट्टी के लिए सुरक्षित

  • फसल की पैदावार बढ़ाता है


6. समुद्री घास अर्क (Seaweed Extract / Samudri Ghas Ark)

Seaweed Extract क्या है?

समुद्री घास अर्क पौधों का बायोस्टिमुलेंट और जैविक उर्वरक है।

सामग्री

  • समुद्री शैवाल – 5 किलो

  • पानी – 20 लीटर

  • गुड़ या शहद – 500 ग्राम

बनाने की विधि

  1. शैवाल साफ करके काटें।

  2. पानी और गुड़ मिलाकर 5–7 दिन किण्वन करें।

  3. छानकर खेत में छिड़काव या सिंचाई में उपयोग करें।

फायदे

  • पौधों की जड़ मजबूत करता है

  • सूक्ष्म पोषण और हॉर्मोन प्रदान करता है

  • फसल की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाता है


Input Form Main Use Key Benefit
पंचगव्य Liquid Plant tonic Soil fertility, immunity
जीवामृत Liquid Soil & plant booster Microbial activity
घनजीवामृत Solid Long-term soil nutrition Easy storage & transport
बीजामृत Liquid Seed treatment Germination & disease resistance
दशपर्णी अर्क Liquid Organic pesticide Pest control
समुद्री घास अर्क Liquid Growth booster Root & crop quality


FAQs

Q1: क्या इन Inputs को एक साथ प्रयोग किया जा सकता है?
A1: हाँ, क्रमबद्ध तरीके से प्रयोग करने पर ये आपस में पूरक होते हैं।

Q2: क्या ये रासायनिक खाद का विकल्प हैं?
A2: बिल्कुल। ये 100% प्राकृतिक और पर्यावरण-सुरक्षित हैं।

Q3: इन्हें कितनी बार छिड़काव करें?
A3: 15–20 दिन के अंतराल पर, मौसम और फसल के अनुसार।


निष्कर्ष

ये 6 जैविक Inputs ऑर्गेनिक और Natural Farming का आधार हैं। इनके प्रयोग से मिट्टी जीवंत, पौधे मजबूत और फसल उत्पादन उच्च गुणवत्ता वाला बनता है। किसान इन Inputs का उपयोग करके सस्ता, टिकाऊ और पर्यावरण-सुरक्षित कृषि कर सकते हैं।


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