सरसों और बरसीम की मिश्रित खेती से लागत कम, मुनाफ़ा ज़्यादा

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 कृषि वैज्ञानिकों की सलाह से सरसों और बरसीम की मिश्रित खेती से लागत घटेगी, पैदावार और मुनाफा बढ़ेगा। किसान एक ही खेत से नकदी और चारा दोनों पा सकते हैं।

                                                                          

In a lush green field, yellow mustard flowers and green berseem grass grow side by side, with a happy farmer standing near a bullock cart.

किसानों के बीच अब मिश्रित खेती (Mixed Cropping) का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सरसों और बरसीम की मिश्रित खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन सकती है। इससे एक ही खेत से नकदी फसल और चारा दोनों प्राप्त किए जा सकते हैं।

बरसीम एक बेहतरीन चारे की फसल है, जो मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिर करती है और उर्वरता बढ़ाती है। वहीं, सरसों एक नकदी फसल है जिसे बाजार में अच्छा भाव मिलता है। दोनों को साथ बोने से किसानों की खाद और सिंचाई की लागत घटती है, पैदावार बढ़ती है और खेत की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि इस मिश्रित खेती से किसान को दोहरी आय का मौका मिलता है। एक तरफ सरसों बेचकर नकदी कमाई होती है, दूसरी तरफ बरसीम से पशुपालन को फायदा होता है क्योंकि यह पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाला हरा चारा है।

किसानों के लिए लाभ:

  • उत्पादन लागत में कमी और मुनाफ़े में वृद्धि।

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और लंबे समय तक कायम रहेगी।

  • नकदी फसल और चारा एक साथ मिलने से जोखिम कम होगा।

  • रसायनिक खाद पर निर्भरता घटेगी।

सरकार भी अब किसानों को मिश्रित खेती और बहुफसलीय खेती की ओर प्रोत्साहित कर रही है ताकि जलवायु परिवर्तन और मौसम की मार से किसानों को सुरक्षित किया जा सके।


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