धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनके प्रभावी नियंत्रण के उपाय

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भारत में धान की फसल पर हमला करने वाले प्रमुख कीटों की पहचान करें, और उनके जैविक व रासायनिक नियंत्रण के सर्वोत्तम उपाय जानें।

परिचय: धान की खेती में कीट नियंत्रण क्यों आवश्यक है

धान दुनिया की आधी से अधिक आबादी का मुख्य आहार है, और भारत इसके सबसे बड़े उत्पादकों और उपभोक्ताओं में से एक है। हालांकि, धान की खेती को कीटों के हमलों से गंभीर खतरा रहता है। यह कीट न केवल पैदावार और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, बल्कि किसानों को भारी आर्थिक नुकसान भी पहुंचाते हैं।

समय रहते इन कीटों की पहचान और नियंत्रण से फसल को बचाया जा सकता है और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इस लेख में हम धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों, उनके लक्षणों, जीवन चक्र, और एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) उपायों पर विस्तृत जानकारी देंगे।

                                                                       

भारत के धान के खेत में कीट नियंत्रण करते किसान की तस्वीर, जिसमें स्प्रे मशीन और स्वस्थ पौधे दिख रहे हैं।

1. स्टेम बोरर (Scirpophaga incertulas)

पहचान:

  • पौधों के मध्य भाग का पीला पड़ना और सूख जाना (डेड हार्ट)

  • फूल निकलने के समय सफेद, खाली बालियाँ (व्हाइट हेड)

  • लार्वा तनों के अंदर घुसकर भीतरी ऊतकों को खाते हैं

जीवन चक्र:

  • मादा पतंगे पत्तियों पर अंडे देती हैं

  • लार्वा टिलर में घुसकर अंदर ही अंदर खाते हैं

  • एक जीवनचक्र 30–40 दिनों में पूरा होता है

नियंत्रण उपाय:

  • सांस्कृतिक: एकसाथ बुवाई, फसल अवशेष हटाना, जल स्तर बनाए रखना

  • जैविक: Trichogramma japonicum @ 50,000/हेक्टेयर छोड़ना

  • रासायनिक: क्लोरपायरीफॉस 20% EC @ 2 मि.ली./लीटर या कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड 50 SP @ 1 ग्रा./लीटर

                                                                       
डेड हार्ट और व्हाइट हेड जैसे लक्षणों के साथ धान में स्टेम बोरर के जीवनचक्र और नियंत्रण उपायों का चित्रण

2. लीफ फोल्डर (Cnaphalocrocis medinalis)

पहचान:

  • पत्तियाँ लंबवत मुड़ जाती हैं

  • लार्वा अंदर छिपकर हरित ऊतकों को खाते हैं

  • प्रभावित पत्तियाँ सफेद या सूखी दिखाई देती हैं

जीवन चक्र:

  • अंडे एकल रूप से पत्तियों पर

  • लार्वा मुड़ी पत्तियों में ही प्यूपा बनाते हैं

  • जीवनचक्र: 20–25 दिन

नियंत्रण उपाय:

  • जैविक: नीम का तेल @ 5 मि.ली./लीटर; Trichogramma chilonis

  • यांत्रिक: लाइट ट्रैप और येलो स्टिकी ट्रैप का उपयोग

  • रासायनिक: प्रोफेनोफॉस 50 EC @ 2 मि.ली./लीटर या लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन @ 1 मि.ली./लीटर

                                                                          
मुड़ी हुई पत्तियाँ और अंदर छिपे लार्वा की तस्वीरें, साथ में नीम तेल और ट्रैप उपाय

3. ब्राउन प्लांट हॉपर (Nilaparvata lugens)

पहचान:

  • पौधों की जड़ की तरफ कीड़े इकट्ठा होकर रस चूसते हैं

  • "हॉपर बर्न" के कारण पौधा जड़ से ऊपर तक सूख जाता है

  • अधिक नाइट्रोजन युक्त व नम क्षेत्र पसंद करते हैं

जीवन चक्र:

  • अंडे पत्तियों की शीथ में

  • अपूर्ण विकसित निम्फ वयस्क जैसे दिखते हैं

  • जीवनचक्र: 15–20 दिन

नियंत्रण उपाय:

  • सांस्कृतिक: अत्यधिक नाइट्रोजन से बचें; उचित पौधों के बीच दूरी रखें

  • जैविक: मिरिड बग्स जैसे परभक्षियों को बढ़ावा दें

  • रासायनिक: इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 0.3 मि.ली./लीटर या बुप्रोफेजिन 25 SC @ 1 मि.ली./लीटर

                                                                            
पौधों की जड़ों पर बीपीएच का जमाव, सूखे पौधे और नियंत्रण स्प्रे उपायों का चित्रण

4. गॉल मिज (Orseolia oryzae)

पहचान:

  • बालियों की जगह चांदी जैसे शूट विकसित होते हैं

  • ऐसे टिलर दाने नहीं देते

जीवन चक्र:

  • अंडे पत्तियों की शीथ पर

  • मैगट्स शूट में घुसकर गॉल बनाते हैं

  • जीवनचक्र: 21–25 दिन

नियंत्रण उपाय:

  • सांस्कृतिक: समय पर बुवाई, अवशेष हटाना

  • जैविक: प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग जैसे CR Dhan 800

  • रासायनिक: कारबोफ्यूरान 3G @ 10 किग्रा/एकड़ या क्लोरान्ट्रानिलिप्रोल 18.5 SC @ 0.3 मि.ली./लीटर

                                                                              
गॉल मिज के कारण बनने वाले गॉल, जीवन चक्र और प्रतिरोधी किस्मों की जानकारी

5. ग्रीन लीफ हॉपर (Nephotettix virescens)

पहचान:

  • छोटे हरे रंग के कीड़े

  • टुंगरो वायरस फैलाते हैं

  • पौधे पीले और बौने हो जाते हैं

नियंत्रण उपाय:

  • जैविक: मकड़ियों और मेंढ़कों को प्रोत्साहित करें

  • रासायनिक: एसिटामिप्रिड 20 SP @ 0.2 ग्रा./लीटर या थायमेथोक्सम 25 WG @ 0.3 ग्रा./लीटर

                                                                              
                                                                               
पीले और बौने पौधों पर हरे कीट, मेंढक और मकड़ी जैसे जैविक नियंत्रण उपाय

6. राइस हिस्पा (Dicladispa armigera)

पहचान:

  • कांटेदार नीले धातु जैसे बीटल

  • पत्तियों की ऊपरी परत को खुरचते हैं

  • पत्तियाँ सफेद व सूखी दिखती हैं

नियंत्रण उपाय:

  • सांस्कृतिक: जल्दी बुवाई, वैकल्पिक मेजबानों को हटाना

  • जैविक: नीम आधारित स्प्रे

  • रासायनिक: साइपरमेथ्रिन 10 EC @ 1 मि.ली./लीटर

                                                                             
सफेद पत्तियाँ और कांटेदार नीला बीटल, साथ में सांस्कृतिक और नीम आधारित नियंत्रण उपाय

7. केसवॉर्म (Nymphula depunctalis)

पहचान:

  • लार्वा पत्तियों को काटकर केस बनाते हैं

  • जल में तैरते हुए पत्तियों को खाते हैं

नियंत्रण उपाय:

  • सांस्कृतिक: जल को बीच-बीच में निकालें

  • यांत्रिक: केस को इकट्ठा कर नष्ट करें

  • रासायनिक: क्विनालफॉस 25 EC @ 2 मि.ली./लीटर

                                                           
तैरते हुए पत्तियों के केस, पानी निकालने और रासायनिक स्प्रे के उपाय

                     

8. व्हाइट बैक्ड प्लांट हॉपर (Sogatella furcifera)

पहचान:

  • ब्राउन हॉपर जैसा लेकिन सफेद पट्टी होती है

  • निचले तने में रहकर रस चूसते हैं

नियंत्रण उपाय:

  • जैविक: परभक्षियों को संरक्षित रखें

  • रासायनिक: बुप्रोफेजिन 25 SC @ 1 मि.ली./लीटर या पाइमैट्रोज़िन 50 WG @ 0.3 ग्रा./लीटर

                                                                        
दोनों कीड़ों की तुलना, सफेद पट्टी वाला हॉपर और नियंत्रण उपाय

9. आर्मीवॉर्म (Mythimna separata)

पहचान:

  • रात में सक्रिय लार्वा

  • पत्तियों को चिथकर खा जाते हैं

नियंत्रण उपाय:

  • जैविक: पक्षी बैठने के लिए स्टिक लगाना, Bacillus thuringiensis (Bt) का उपयोग

  • रासायनिक: लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन @ 0.75 मि.ली./लीटर

                                                                  
रात में सक्रिय लार्वा द्वारा चिथी हुई पत्तियाँ, बर्ड पर्च और बीटी स्प्रे का चित्रण

एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) – Integrated Pest Management

IPM एक ऐसी रणनीति है जिसमें सांस्कृतिक, जैविक, यांत्रिक और रासायनिक उपायों का संयोजन होता है। यह पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना प्रभावी कीट नियंत्रण सुनिश्चित करता है।

मुख्य IPM घटक:

  • Trichoderma और Pseudomonas से बीज उपचार

  • प्रकाश और फेरोमोन ट्रैप का उपयोग

  • नियमित फील्ड मॉनिटरिंग

  • प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण

  • आवश्यकतानुसार ही रासायनिक नियंत्रण

                                                                            
बीज उपचार, प्रकाश ट्रैप, जैविक शत्रु और आवश्यकतानुसार रासायनिक नियंत्रण के चक्र का दृश्य

भारत में क्षेत्रवार कीट प्रकोप

क्षेत्रप्रमुख कीटमौसम

पूर्वी भारतस्टेम बोरर, गॉल मिजखरीफ

दक्षिण भारतकेसवॉर्म, ब्राउन हॉपरखरीफ और रबी

उत्तरी भारतलीफ फोल्डर, ग्रीन लीफ हॉपरगर्मी

पूर्वोत्तर भारतहिस्पा, आर्मीवॉर्ममानसून

चार्ट के माध्यम से दिखाया गया है कि किस क्षेत्र में कौन से कीट किस मौसम में अधिक सक्रिय रहते हैं


सरकारी योजनाएं और सहायता

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY): कीटों से प्रभावित फसल के लिए बीमा

  • सब्सिडी: जैविक कीटनाशकों, ट्रैप्स और स्प्रेयर्स पर

  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK): स्थानीय विशेषज्ञों की सलाह

  • मोबाइल ऐप्स: किसान सुविधा, एग्रीएप – मौसम और कीट अलर्ट के लिए

निष्कर्ष: किसानों को सशक्त करें, फसल को सुरक्षित रखें

धान की फसल में कीट नियंत्रण केवल रसायनों से नहीं होता — यह ज्ञान, समयबद्धता और एकीकृत रणनीतियों का मिश्रण है। बढ़ती जागरूकता और सरकारी सहायता के साथ, किसान नुकसान को कम कर सकते हैं और टिकाऊ खेती सुनिश्चित कर सकते हैं।

सुरक्षित खेत = समृद्ध किसान

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